
कोरोना महामारी के चलते दिल्ली के सभी स्कूल बंद है। ऐसे में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों को लॉकडाउन के दौरान से ही मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है। लॉकडाउन से पहले छात्रों को मिड-डे मील उपलब्ध कराने का कार्य अक्षय पात्र संस्था द्वारा किया जाता था, अब चूंकि लंबे समय से इन छात्रों को गर्म पोषाहार नहीं मिल पा रहा है तो अक्षय पात्र संस्था ने एक योजना तैयार की है।
दिल्ली के छात्रों को बांटा जाएगा हैप्पीनेस बॉक्स
अक्षय पात्र संस्था के योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को हैप्पीनेस बॉक्स (डिब्बा) बांटा जाएगा। अक्षय पात्र संस्था के सदस्यों ने बताया कि अभी इस योजना पर केवल दिल्ली सरकार द्वारा मोहर लगने की देरी है, जैसे ही सरकार उनकी इस योजना को मंजूरी दे देगी, संस्था के सदस्य छात्रों को हैप्पीनेस बॉक्स बांटने का कार्य शुरु कर देंगे। अक्षय पात्र संस्था के मुताबिक, पिछले 6 महीने से लॉकडाउन के चलते अक्षय पात्र की रसोई में छात्रों का पोषाहार नहीं पक पा रहा था ऐसे में छात्रों के लिए यह बॉक्स बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि उनको अब जाकर फिर से पोषाहार मिलेगा।
75 हजार छात्रों को मिलेगा हैप्पीनेस बॉक्स
अक्षय पात्र संस्था द्वारा बनाई गई इस योजना से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 75 हजार से भी ज्यादा छात्रों को सीधा-सीधा लाभ होगा, क्योंकि छात्रों को हैप्पीनेस बॉक्स के जरिए पोषाहार मिलने की उम्मीद है। अक्षय पात्र के रीजनल प्रेसिडेंट भरतार्शभा दास ने बताया कि अक्षय पात्र की तरफ से इसे लेकर पूरी तैयारी हो गई है, मंजूरी मिलते ही संस्था के सदस्य दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर जाकर हैप्पीनेस बॉक्स बाटेंगे।
हैप्पीनेस बॉक्स में 1 महीने का राशन दिया जाएगा
भरतार्शभा दास ने कहा कि इस हैप्पीनेस बॉक्स में छात्रों को एक महीने का सूखा राशन दिया जाएगा, जिसमें उनके परिवार के 5 सदस्यों के हिसाब से भरपूर राशन होगा। राशन में आटा, दाल, चावल, मसाले, तेल, गुड़, मूंगफली व घरेलू जरुरतों का समान होगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक छात्र को एक ही हैप्पीनेस बॉक्स मिलेगा। गौरतलब है कि अक्षय पात्र संस्था दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों को इसी वर्ष से डिब्बा बंद खाना खिला रहा था, इसके लिए दिल्ली में अक्षय पात्र की 3 रसोई है जिसमें छात्रों का पोषाहार पकाया जाता था, ये रसोई ओखला स्थित मोहन एस्टेट, जहांगीरपुरी और समयपुर बादली में बनाई गई हैं।