प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए की गई एक टिप्पणी के खिलाफ दायर मानहानि मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से कांग्रेस नेता व सांसद शशि थरूर को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने थरूर के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई पर लगाई लगा दी है।
शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैत की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। साथ ही इस याचिका पर शिकायतकर्ता भाजपा नेता राजीव बब्बर से जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। शशि थरूर की तरफ से पेश हुए दिग्गज अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विकास पाहवा ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को रद करने की मांग की, जिसके तहत शशि थरूर को आपराधिक मानहानि की शिकायत में आरोपित के रूप में पेश होने का आदेश दिया गया था।
राजीव बब्बर ने थरूर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी
अधिवक्ता गौरव गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में 2 नवंबर, 2018 की शिकायत को भी रद करने की मांग की गई है। अदालत में अधिवक्ता विकास पाहवा ने तर्क दिया कि निचली अदालत का आदेश कानून की दृष्टि से ठीक नहीं है और आपराधिक न्याय शास्त्र के तय सिद्धांतों के खिलाफ है, निचली अदालत ने इस तथ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है कि राजीव बब्बर द्वारा की गई शिकायत पूरी तरह से झूठी और तुच्छ है। राजीव बब्बर द्वारा निचली अदालत में शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी।
शशि थरूर को निचली अदालत ने दी थी जमानत
राजीव बब्बर ने दावा किया था कि शशि थरूर के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। ध्यान रहे कि अक्टूबर, 2018 में शशि थरूर अपने एक बयान में दावा किया था कि स्वयं सेवक संघ के एक अज्ञात व्यक्ति ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की तुलना शिव¨लिंग पर बैठे एक बिच्छू से की थी। शशि थरूर को इस मामले में जून, 2019 में निचली अदालत ने जमानत दी थी। राजीव बब्बर ने कहा था कि वे भगवान शिव के भक्त हैं और उक्त बयान देकर शशि थरूर ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।