सादिया देहलवी ने ली अंतिम सांस, कैंसर से थीं पीड़ित

दिल्ली की मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता सादिया देहलवी का कल देर रात निधन हो गया। सादिया विगत कुछ सालों से कैंसर से जंग लड़ रही थीं। 63 वर्षीय सादिया देहलवी ने अपनी किताबों के जरिए दुनिया को खालिस दिल्ली की खासियतों से रूबरू कराया।

सादिया कैंसर से जंग लड़ रही थीं

दिल्ली की मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता सादिया देहलवी का कल यानि 5 अगस्त को देर रात निधन हो गया। सादिया विगत कुछ सालों से कैंसर से जंग लड़ रही थीं। 63 वर्षीय सादिया देहलवी ने अपनी किताबों के जरिए दुनिया को खालिस दिल्ली की खासियतों से रूबरू कराया। दिल से खुद को सूफी मानने वालीं सादिया ने इस पर किताबें भी लिखीं। सादिया देहलवी अपने परिवार के साथ निजामुद्दीन ईस्ट में रहतीं थी। सादिया का जन्म वर्ष 1957 में हुआ था, इनका बचपन 11 सरदार पटेल मार्ग स्थित शमा कोठी में बीता था।

सादिया का इलाज मेदांता में चल रहा था

सादिया के परिजन अरमान अली देहलवी ने आज बताया कि मेदांता में उनका इलाज चल रहा था, कल अचानक तबियत बिगड़ी तो वसंत कुंज स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइनरी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि कैंसर एडवांस स्टेज में है, बचाया नहीं जा सकता, इसके बाद उन्हें देर रात घर लेकर आ गए, रात में उनका निधन हो गया। कुछ जानकारों ने सादिया के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग की शुरू की थी, ट्विटर पर चार दिन पहले इस बाबत पोस्ट भी किया गया था, हालांकि परिजनों ने बताया कि यह शुरू नहीं हो पाया था।

सादिया निजामुद्दीन औलिया की मुरीद थीं

सादिया के निधन पर शोक जताते हुए मशहूर इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट किया कि दिल्ली की एक जानी मानी शख्सियत, एक खास दोस्त और शानदार इंसान की खबर सुनकर दुख हुआ। सादिया ने सूफी पर कई किताबें लिखीं, हजरत निजामुद्दीन दरगाह उनके दिल के करीब थी, दरगाह के आधिकारिक ट्वीट अकाउंट से किए गए ट्वीट में लिखा गया कि वो हजरत निजामुद्दीन औलिया की मुरीद थीं, उनकी मगफिरत के लिए दुआ करें।

सादिया ने कई किताबें लिखीं

सादिया ने ‘द सूफी कोर्टयार्ड’, 2009 में ‘सूफीज्म: द हार्ट ऑफ इस्लाम’ और 2017 में ‘जैसमीन एंड जिन्स: मेमोरीज एंड रेसिपीज ऑफ माय दिल्ली’ किताबें लिखीं। सूफी पर अपनी किताबों में सादिया ने न केवल दिल्ली के सूफी इतिहास के बारे में बताया, बल्कि ये भी बताया कि कैसे सूफी विचारधारा जिंदगी जीने का एक जरिया है। उन्होंने ‘अम्मा एंड फैमिली’, और ‘नॉट अ नाइस मैन टू’ नो जैसे टीवी सीरियल से भी जुड़ी रहीं। ‘अम्मा एंड फैमिली’ में जहां जोहरा सहगल ने काम किया, तो वहीं ‘नॉट अ नाइस मैन टू नो’ खुशवंत सिंह की किताब पर आधारित थी।

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