दिल्ली में प्रवासी मजदूरों का लौटना शुरू, कोरोना टेस्ट कराना जरूरी

वैश्विक महामारी कोरोना के संकट में प्रवासी मजदूरों की हालत एक तरफ कुआं, तो एक तरफ खाई सी स्थिति बन गई है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूर काम और पैसा न होने के चलते दिल्ली से पलायन कर गए थे, अब कई महीनों से अपने राज्यों में बेरोजगार बैठे इन मजदूरों को अब एक बार फिर काम की तलाश वापस दिल्ली की ओर ले आई है।

प्रवासी मजदूर दिल्ली लौट रहे हैं

वैश्विक महामारी कोरोना के संकट में प्रवासी मजदूरों की हालत एक तरफ कुआं, तो एक तरफ खाई सी स्थिति बन गई है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूर काम और पैसा न होने के चलते दिल्ली से पलायन कर गए थे, अब कई महीनों से अपने राज्यों में बेरोजगार बैठे इन मजदूरों को अब एक बार फिर काम की तलाश वापस दिल्ली की ओर ले आई है। हालांकि, इन प्रवासी मजदूरों के जरिए कोरोना के संक्रमण का एक राज्य से दूसरे राज्य में फैलने का खतरा बढ़ गया है, इसलिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ये सुनिश्चित करना चाहती है कि कोरोना टेस्ट के बाद ही इनका दिल्ली शहर में प्रवेश हो।

प्रवासी मजदूरों का कोरोना टेस्ट हो रहा है

दिल्ली सरकार ने इसके लिए आनंद विहार बस अड्डे पर कोरोना टेस्ट कैम्प बनाया है, जहां रैपिड एंटीजन टेस्ट किट का इस्तेमाल करके प्रवासी मजदूर की जांच की जा रही है। 13 अगस्त से इस कोरोना टेस्ट कैम्प की शुरुआत की गई है और रोजाना 500-1000 के बीच टेस्ट किए जा रहे हैं। इस टेस्ट कैम्प को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला रजिस्ट्रेशन काउंटर जहां बसों में आए प्रवासी मजदूरों को लाकर उनका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है और उन्हें टोकन दिया जाता है, इसके बाद टेस्टिंग स्टेशन पर उन्हें भेजा जाता है, जहां स्वास्थ्यकर्मियों की टीम रैपिड टेस्ट के लिए एक-एक करके सैम्पल लेती है, सैम्पल कलेक्शन के बाद तीसरा एरिया है रिजल्ट जोन जहां सैम्पल देकर आए लोगों को अपने रिजल्ट के लिए 15-30 मिनट तक इंतजार करना होता है।

संक्रमितों को क्वारंटाइन किया जा रहा है

इस टेस्ट के रिजल्ट में अगर कोई कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे फौरन एम्बुलेंस से कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में बने क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया जा रहा है। सिविल डिफेंस के जवानों की भूमिका इसमें अहम है, बस के एंट्री पॉइंट से प्रवासी मजदूरों को कैम्प तक लाने की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है, इसके बाद लाए गए लोगों को लाइन में लगाकर उन्हें टोकन बांटना, फिर टेस्ट की लाइन में ले जाना, रिजल्ट बताना और किसी के पॉजिटिव आने पर उसे क्वारंटाइन सेंटर तक भिजवाना ये सारा काम सिविल डिफेंस के जवान करते हैं।

टेस्ट में रोजाना 7-8 केस पॉजिटिव

सिविल डिफेंस के डिप्टी डिवीजन वार्डन ललित गोयल के मुताबिक, इस काम के लिए करीब 50 सिविल डिफेंस के जवानों की तैनाती की गई है, इसके साथ ही मेडिकल स्टाफ की दो टीम हैं जो दो शिफ्टों में काम करती है। ललित गोयल ने कहा कि इस टेस्ट के दौरान करीब 7-8 लोग रोजाना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। ध्यान रहे कि काम की तलाश में आए मजदूरों के लिए ये टेस्ट भी वैसे ही परेशानी का सबब है, जैसी परेशानी उनको लॉकडाउन के साथ आई थी, पहले घर वापस जाने के लिए बस की लाइन में लगे थे और अब दिल्ली में वापसी के लिए टेस्टिंग कैम्प की लाइन में लगे हैं।

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