देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आज एक बड़ा ऐलान किया है। दिल्ली में पटाखे फोड़ने या बेचने पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
आरोपी के खिलाफ एयर एक्ट के तहत केस
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज 6 नवंबर को घोषणा की कि दिल्ली में किसी भी तरह के पटाखे फोड़ने या बेचने पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। ध्यान रहे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली में ग्रीन पटाखों समेत सभी तरह के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा के एक दिन बाद आज गोपाल राय ने कहा कि पटाखे बेचने या फोड़ने वाले लोगों पर वायु प्रदूषण (नियंत्रण) अधिनियम (1981) के तहत 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गोपाल राय ने कहा कि आरोपी के खिलाफ एयर एक्ट के तहत केस बनाया जाएगा, जिसमें 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
7-30 नवंबर तक लागू रहेगा प्रतिबंध
गोपाल राय ने कहा कि वह पर्यावरण विभाग, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और दिल्ली पुलिस के प्रतिनिधियों के साथ 9 नवंबर को एक बैठक करेंगे ताकि प्रतिबंध को लागू करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा सके। ध्यान रहे कि अरविंद केजरीवाल की ओर से 5 नवंबर को की गई घोषणा के मुताबिक, पटाखों पर प्रतिबंध 7 नवंबर से 30 नवंबर तक लागू रहेगा। गोपाल राय ने कहा कि वैसे तो दिल्ली में प्रदूषण के स्रोत साल भर लगातार बने हुए हैं, लेकिन दिवाली से पहले पटाखे फोड़ने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से दिल्ली का प्रदूषण स्तर और बढ़ जाता है, वहीं दिल्ली में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लोगों की जान बचाने के लिए पटाखा कारोबारियों को होने वाले नुकसान के आर्थिक पहलु से यह कदम अधिक महत्वपूर्ण है।
बायो डिकॉम्पोजर का नि:शुल्क छिड़काव
गोपाल राय ने कहा कि पराली को खाद में बदलने के लिए पूसा के साथ मिलकर दिल्ली सरकार ने बायो डिकॉम्पोजर का नि:शुल्क छिड़काव दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में किया है। उन्होंने कहा कि अब तक 1800 एकड़ खेतों में बायो डिकॉम्पोजर का छिड़काव हो चुका है। दिल्ली सरकार बायो डिकॉम्पोजर के असर को देखने के लिए 15 सदस्यीय कमेटी का गठन कर रही है जो इसकी रिपोर्ट देगी, रिपोर्ट को हम सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी रखेंगे। गोपाल राय ने कहा कि कमेटी में भारतीय कृषि और अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ ही विधायक और जिला स्तर के अधिकारी भी शामिल होंगे।