दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज 13 अक्टूबर को नरेला के हिरनकी गांव में पराली को गलाकर खाद बनाने के लिए बायो डिकम्पोजर घोल के छिड़काव का शुभारंभ किया। इस दौरान केजरीवाल के साथ दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय मौजूद थे।
20-25 दिन में पराली खाद में बदल जाएगी
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस अवसर पर कहा कि दिल्ली में 700-800 हेक्टेयर जमीन है जहां धान उगाया जाता है और पराली निकलती है, अब ये घोल वहां छिड़का जाएगा, अगले कुछ दिन में छिड़काव पूरा हो जाएगा और 20-25 दिन में पराली खाद में बदल जाएगी, जिससे प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। ध्यान रहे कि बायो डिकम्पोजर घोल पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंघान संस्थान के विज्ञानियों द्वारा तैयार किया गया है। केजरीवाल ने दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर चिंता जताई और कहा कि सभी राज्यों को इसे रोकने के लिए मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान मजबूरी में पराली जलाते हैं, इससे दिल्ली ही नहीं पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या रहती है। केजरीवाल ने कहा कि आसपास के राज्यों में फिर से पराली जलाना शुरू हो गया है जिससे धुआं दिल्ली पहुंचने लगा है, हमें इसे रोकने के लिए जल्द से जल्द उचित उपाय करने होंगे।
प्रदूषण को कम करने में केंद्र की भूमिका अहम
वहीं, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रदूषण के मामले में केंद्र सरकार की निष्क्रियता को लेकर आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई गंभीर सवाल उठाए। मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार लगातार पूरे साल काम कर रही है ताकि दिल्ली का प्रदूषण कम किया जा सके, लेकिन पराली का प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की नहीं पूरे उत्तर भारत की समस्या है, अफसोस की बात है केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। सरकार पूरे साल हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। उन्होंने कहा कि प्रदूषण को कम करने में केंद्र सरकार को भूमिका निभानी पड़ेगी।
केंद्र और सभी राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारी निभाएं
सिसोदिया ने कहा कि मैं निवेदन करता हूं कि इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारें मिलकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं। सिसोदिया ने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार अपने स्तर पर हर संभव कदम उठा रही है, मगर केंद्र कुछ नहीं कर रहा, इप्का जैसी एजेंसी को इस पर केंद्र, पंजाब और हरियाणा की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि वो कोई कदम क्यों नहीं उठा रहे।