दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिलकर इसके विरुद्ध लड़ने का अनुरोध किया है। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को प्रदूषण से लड़ने के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ हर महीने मीटिंग करनी चाहिए।
आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने पराली को लेकर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से अपील करते हुए कहा कि पराली से उठने वाला धुआं एक बड़ी समस्या है, प्रकाश जावड़ेकर को प्रदूषण पर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के साथ हर महीने बैठक करनी चाहिए और पराली का समाधान निकालना चाहिए, आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा। केजरीवाल ने कहा कि मुख्यामंत्रियों के इस मीटिंग में सभी सरकारें एक साथ मिलकर प्रदूषण के खिलाफ लड़ेंगी, जिससे असर जल्द दिखेगा। उन्होंने कहा कि सभी सरकारों के साथ सभी पार्टियों को एक साथ आकर इस मुद्दे पर मिलकर काम करना होगा, अगर राजनीति करते रह गए तो यह मामला सुलझेगा ही नहीं, इसलिए 4 साल तक हमें प्रदूषण के मुद्दे पर राजनीति करने की नहीं, बल्कि मिलकर काम करने की जरूरत है।
पराली से पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण होता है
केजरीवाल ने कहा कि पराली की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार डेडलाइन निश्चित करे, पराली से जो प्रदूषण होता है वो पूरे उत्तर भारत में होता है, दिल्ली से ज्यादा उन किसानों के लिए चिंता होती है जो ये पराली जलाते हैं। ध्यान रहे कि पूसा के एक्सपेरिमेंट का दिल्ली सरकार दिल्ली में छिड़काव कर रही है जिससे पराली खाद में बदल जाएगी। ध्यान रहे कि दिल्ली-एनसीआर में 18 अक्टूबर को भी वायु प्रदूषण खराब श्रेणी में बना रहा, दिल्ली में अभी प्रदूषण से राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं, इसकी बड़ी वजह हवा की गति मंद पड़ना और उत्तर-पश्चिमी हवा के साथ पंजाब, हरियाणा, उप्र से पराली का धुआं लगातार दिल्ली पहुंच रहा है।
करनाल में पराली से सीएनजी बनना शुरू हुआ
केजरीवाल ने कहा कि करनाल में पराली से सीएनजी बनाने का बहुत बड़ा कारखाना शुरू हो गया है, इसमें किसान को पैसा मिलता है, किसान का कोई खर्च नहीं है, गैस भी आईजीएल खरीद लेती है। पंजाब में पराली से कोयला बनाने वाली 7 फैक्ट्री चल रही है, ये एनटीपीसी को कोयला बेचती है। केजरीवाल ने कहा कि पराली से गत्ता बनता है, अगर हम सारी सरकारें मिलकर ऐसा काम करें कि पराली जलाने की बजाए ऐसी फैक्ट्रियों में पराली लगाएं तो कितना फायदा होगा, युद्धस्तर पर काम करें तो एक साल में हम पराली को लाइबिलिटी की बजाय एसेट्स में बदल सकते है।
एक्यूआई 200 से ऊपर यानि खराब श्रेणी में
केंद्र सरकार के अधीन आने वाली वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के सभी शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि एक्यूआई 200 से ऊपर यानि खराब श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई क्योंकि पड़ोसी राज्यों में इस मौसम में एक दिन में पराली जलाने की सर्वाधिक 1230 घटनाएं दर्ज की गईं, दिल्ली के वातावरण में रविवार को ‘पीएम 2.5’ कणों में पराली जलाने की हिस्सेदारी 17 फीसदी, शनिवार को यह 19 फीसदी, शुक्रवार को 18 फीसदी, बुधवार को करीब 1 फीसदी और मंगलवार, सोमवार और रविवार को करीब 3 फीसदी थी।