दिल्ली के थानों में ऑनलाइन अदालत लगाने की मंजूरी…जानिए कितने थानों में लगेगी ?

देश की राजधानी दिल्ली में अब दिल्ली पुलिस को मुजरिमों को लेकर अदालतों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि अब थाने में ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुजरिमों की पेशी की जाएगी। इस संबंध में दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।

हाई कोर्ट ने ऑनलाइन अदालत की मंजूरी दी

देश की राजधानी दिल्ली में अब दिल्ली पुलिस को मुजरिमों को लेकर अदालतों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि अब थाने में ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुजरिमों की पेशी की जाएगी। इस संबंध में दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रत्येक जिले के एक थाने में फिलहाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम तैयार किया जा रहा है। यह प्रयोग सफल रहा तो जल्द ही प्रत्येक थाने में यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।

दिल्ली में कुल 11 जिले हैं

ध्यान रहे कि आपराधिक मामलों में दर्ज एफआईआर के बाद पकड़े जाने वाले मुजरिमों को दिल्ली की निचली अदालतों में पेश करने का प्रावधान है। दिल्ली में अभी कुल 11 जिले हैं, हालांकि कोरोना संकट के बाद मंडोली और तिहाड़ जेल में पेशी की व्यवस्था की गई थी, इसके लिए यहां प्रतिदिन जज बैठ रहे थे, लेकिन पूरी दिल्ली में पकड़े जाने वाले मुजरिमों की संख्या अधिक होने की वजह से कई बार यहां भीड़ अधिक होने से कई-कई घंटे तक पेशी के लिए इंतजार करना होता था। प्रत्येक जिले के एक थाने में बनाए जाने वाले कॉन्फ्रेंसिंग रूम में ही जिले भर में पकड़े जाने वाले मुजरिमों को संबंधित अदालत के जज के सामने पेश किया जाएगा।

वीसी के जरिए मुजरिमों की होगा पेशी

इसके अलावा इसी तरह स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, आर्थिक अपराध शाखा व विजिलेंस आदि यूनिटों में भी एक-एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम बनाया गया है। ऐसी होगी नई व्यवस्था नई व्यवस्था के तहत कोई भी थाना पुलिस जब मुजरिम को पकड़ेगी तो उस थाने के नायब कोर्ट सबसे पहले मुजरिम की केस फाइल को संबंधित जिले के जज के सामने पेश करेंगे। इसे पढ़ने के बाद जब नायब कोर्ट से जब मुलजिम को पेश करने के लिए कहेंगे तब वीसी के जरिए जांच अधिकारी मुजरिम को पेश करेंगे। पेशी के बाद जज जो भी आदेश देंगे उसके मुताबिक जांच अधिकारी को कार्रवाई करनी होगी, वहीं केस फाइल पर आदेश लिखे जाने के बाद नायब कोर्ट उसे लेकर वापस थाने आ जाएंगे।

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