मुस्लिम संगठनों के निशाने पर रहने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने आज इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। डासना मंदिर में महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की मौजूदगी में पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चार और अनुष्ठानों के जरिए वसीम रिजवी का विधिवत सनातन धर्म ग्रहण कराया, रिजवी अब त्यागी बिरादरी से जुड़ गए हैं।
रिजवी का नया नाम हुआ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने आज 6 दिसंबर को हिंदू धर्म अपना लिया है। वसीम रिजवी का नाम अब जितेंद्र नारायाण सिंह त्यागी हो गया है। वसीम रिजवी ने गाजियाबाद के डासना मंदिर में सनातन धर्म अपनाया, मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने ऐलान किया कि धर्म परिवर्तन के बाद वसीम रिजवी की जाति और गोत्र को लेकर कोई सवाल न खड़ा हो इसलिए वह उन्हें अपना भाई बना रहे हैं और उनका गोत्र वत्स होगा।
यति नरसिंहानंद ने रिजवी को अपना भाई बनाया
वसीम रिजवी के धर्म परिवर्तन से संबंधित सारे अनुष्ठान करवाने के बाद नरसिंहानंद सरस्वती ने पत्रकारों से बातचीत करते हुआ कहा कि जो भी मुसलमान धर्म परिवर्तन करते हैं तो मुस्लिम मौलाना उन्हें कंफ्यूज करते हैं। नरसिंहानंद ने कहा कि मौलाना धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए कहते हैं कि किस जाति में जा रहे हैं, कहते थे हिंदू धर्म जातियों में बंटा है आप किस जाति में जाएंगे, इसलिए मैंने इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने वसीम रिजवी को अपना भाई बनाया है।
नरसिंहानंद ने रिजवी को त्यागी समाज में शामिल कराया
डासना मंदिर के महंत नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि उन्होंने वसीम रिजवी का धर्म परिवर्तन करवाने से पहले त्यागी समाज के प्रतिष्ठित लोगों को बुलाया, उनसे बातचीत करके ही वसीम को त्यागी समाज में शामिल कराया है। डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उनके पिता के 2 पुत्र थे उनमें से एक ने सन्यास ले लिया (स्वयं), लेकिन अब उनके पिता के फिर से 2 पुत्र कहलाएंगे, एक उनका भाई और दूसरा जितेंद्र नारायाण सिंह त्यागी, आज से वसीम रिजवी के बजाए जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाने जाएंगे, वह उनके परिवार का हिस्सा बन गए हैं। महंत नरसिंहानंद ने कहा कि जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उनके भाई हैं और उनका गोत्र वत्स है।
सनातन धर्म दुनिया का सबसे पवित्र धर्म- रिजवी
धर्म परिवर्तन करने के बाद वसीम रिजवी ने कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पवित्र धर्म है, इसमें बहुत सारी खूबियां हैं। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन के लिए उन्होंने 6 दिसंबर के पवित्र दिन चुना है, आज के ही दिन 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया था। वसीम रिजवी ने कहा कि आज से वह सिर्फ हिंदुत्व के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि मुसलमानों का वोट किसी भी सियासी पार्टी को नहीं जाता है, मुसलमान केवल हिंदुत्व के खिलाफ और हिंदुओं को हराने के लिए वोट करते हैं।
वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत जारी की थी
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत जारी की थी, इस वसीयत में उन्हों ने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाने के बजाय हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए। उन्होंकने यह भी कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को आग दें। इस वसीयत के बाद वसीम रिजवी का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें उन्होंने खुद की हत्या की साजिश की आशंका जताई थी।