पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (रामचंद्र प्रसाद सिंह) पर जनता दल (यूनाइटेड) ने बड़ा आरोप लगाया है। जेडीयू ने आरसीपी सिंह पर पार्टी में रहते हुए करोड़ों रुपए की संपत्ति अपने और अपने परिवार के नाम करने का आरोप लगाया है, जिसे लेकर अब बिहार की राजनीति में घमासान मच गया है। विवाद बढ़ता देखकर बिहार जेडीयू के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को कारण बताओ नोटिस भेजकर उन पर लगाए गए आरोपों पर जवाब मांगा है।
पार्टी को आरसीपी के जवाब का इंतजार है- कुशवाहा
उमेश सिंह कुशवाहा कहा कि हमारी पार्टी भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर विश्वास रखती है, सूचना मिलने पर उसी के आधार पर पार्टी ने नोटिस जारी किया है, पार्टी ने नोटिस जारी कर आरसीपी सिंह से पार्टी में शीर्ष स्तर पर रहते हुए जो भी संपत्ति अर्जित की उसके बारे में जानकारी देने को कहा है, पार्टी को उनके जवाब का इंतजार है, उसके बाद ही पार्टी आगे की कार्रवाई करेगी।
उमेश कुशवाहा ने पत्र लिखकर आरसीपी से मांगा जवाब
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को पत्र लिखकर जवाब मांगा है। इसमें बताया गया है कि नालंदा जिले में जेडीयू के 2 साथियों की सबूत के साथ शिकायत मिली है, इसमें आपके और आपके परिवार के नाम से साल 2013 से 2022 तक अकूत संपत्ति निबंधित कराया गया है, जिसमें कई प्रकार की अनियमितता दिखाई दे रही है, आप लंबे समय तक पार्टी के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के साथ अधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे हैं।
हमारे माननीय नेता पर कभी दाग नहीं लगा- कुशवाहा
पत्र में कहा गया है कि आपको, हमारे माननीय नेता ने 2 बार राज्यसभा का सदस्य, पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव (संगठन), राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर पूर्ण विश्वास एवं भरोसे के साथ दिया, आप इस तथ्य से भी अवगत हैं कि माननीय नेता भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस पर काम करते रहे हैं और इतने लंबे सार्वजनिक जीवन के बावजूद उन पर कभी दाग नहीं लगा और न उन्होंने कोई संपत्ति बनाई, पार्टी आपसे अपेक्षा करती है कि इस परिवाद के बिंदुओं पर बिंदुवार अपनी स्पष्ट राय से पार्टी को तत्काल अवगत कराएंगे।
पत्नी के नाम की वर्तनी में भी हेरफेर
वहीं, दूसरी ओर यह बात भी सामने आई है कि चुनावी हलफनामा 2010 एवं 2016 में आरसीपी सिंह ने अपनी पत्नी का नाम गिरिजा सिंह दर्ज किया है, वहीं जमीन खरीदी गए केवाला में गिरजा सिंह लिखा गया है। जेडीयू के दस्तावेजों में इसका भी जिक्र है कि आरसीपी सिंह 2010 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होते हैं और उनके परिजन 2013 से अब तक संपत्ति खरीदने में सक्रिय हो जाते हैं। अस्थावां प्रखंड में खरीदी गई जमीन में पत्नी के नाम की वर्तनी में हेराफेरी की गई है।
दान वाली जमीन लिपि-लता के नाम पर खरीदी गई
सबूत के आधार पर देखें तो यह बताया गया है कि इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए हैं, 2013 से 2016 के बीच में इसकी खरीदारी की गई है, ये प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर है। वहीं, 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी, बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दी है।
35 पन्नों में है जमीन की खरीद व इससे जुड़े विवरण
जेडीयू के दस्तावेज को देखें तो यह भी बात सामने आई है कि 4 सितंबर 2014 और 15 सितंबर 2014 को सिलाव के बिशेश्वर साव ने 2 प्लॉट खरीदे, इसे 18 सितंबर 2014 को लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दिया गया, ऐसे 2 और मामले हैं जिसमें 6 दिन और 8 महीने में दूसरे से खरीदी गई जमीन को खरीदने वाले ने लता सिंह और लिपि सिंह को जमीन बेच दी गई। कुल 35 पन्नों में जमीन की खरीद और इससे जुड़े दूसरे विवरण हैं।
नालंदा के अस्थावां में खरीदे गए 34 प्लॉट
इसके अलावा अस्थावां (नालंदा) के शेरपुर मालती मौजा में 34 प्लॉट खरीदे गए हैं, इसमें 4 प्लॉट 2011-2013 में लता सिंह और लिपि सिंह के नाम पर लिया गया है, पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है, बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए हैं। वहीं, महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया। 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 तथा 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए हैं।
इस मामले पर मौन हैं अभी आरसीपी सिंह
हालांकि, आरसीपी सिंह उर्फ रामचंद्र प्रसाद सिंह से जब मीडिया ने इस मामले पर जवाब जानने की कोशिश की तो उन्होंने चुप्पी साधी रही, साथ ही कैमरा को बंद रखने को कहा, वहीं बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी इस मामले में कुछ भी बोलने से परहेज किया।