
जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से ज्यादा समय तक अलगाववादी मुहिम का नेतृत्व करने वाले और पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जहरीला बयान दिया है।
गिलानी ने बुधवार की रात 10.35 बजे अंतिम सांस ली
जम्मू-कश्मीर के वयोवृद्ध अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का कल 1 सितंबर की रात निधन हो गया है। 92 साल के सैयद अली शाह गिलानी ने श्रीनगर के हैदरपुरा स्थित अपने आवास पर बुधवार की रात 10.35 बजे अंतिम सांस ली। गिलानी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे, उनके परिवार में उनके 2 बेटे और 6 बेटियां हैं, साल 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद गिलानी ने दोबारा शादी की थी। गिलानी पिछले दो दशक से अधिक समय से गुर्दे संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था।
गिलानी के निधन पर इमरान खान का जहरीला बयान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया। सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर पाकिस्ताहनी प्रधानमंत्री इमरान खान जहर उगलते नजर आए। प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत पर निशाना साधा और सैयद गिलानी को ‘पाकिस्तारनी’ बताया, साथ ही पाकिस्तान के झंडे को आधा झुकाने की घोषणा की, इतना ही नहीं इमरान खान ने पाकिस्तान में एक दिन के राष्ट्रीोय शोक का भी ऐलान किया है।
गिलानी 3 बार सोपोर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे
29 सितंबर 1929 को बारामुला जिले के सोपोर क्षेत्र के दुरू गांव में सैयद गिलानी का जन्म हुआ था। पाकिस्तान समर्थक माने जाने वाले गिलानी तीन बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। गिलानी साल 1972, 1977 और 1987 में जम्मू कश्मीर के सोपोर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे, हालांकि, बाद में गिलानी ने चुनावी राजनीति से दूरी बना ली थी। सैयद गिलानी ने साल 1950 में अपने सियासी सफर का आगाज किया था और 28 अगस्त 1962 को अशांति फैलाने के आरोप में पहली बार जेल गए थे।
गिलानी पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर से जुड़े
सैयद अली शाह गिलानी पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर से जुड़े, 2004 में गिलानी जमात-ए-इस्लामी से अलग हो गए और तहरीक-ए-हुर्रियत के नाम से अपनी खुद की पार्टी पार्टी भी बनाई। साल 1993 में 26 अलगाववादी संगठनों ने मिलकर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस नाम से एक वृहद संगठन बनाया था, सैयद अली शाह गिलानी इसके अध्यक्ष भी रहे हैं, उन्होंने अभी पिछले साल ही हुर्रियत के आजीवन अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था और और पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान किया था।