PM मोदी ने ISKCON के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर जारी किया 125 रुपए का स्मारक सिक्का

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्कॉन मंदिर के संस्थापक अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर 125 रुपए का स्माकर सिक्का जारी करते हुए इसे एक सुखद संयोग करार दिया।

प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर सिक्का जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 1 सितंबर को इस्कॉन मंदिर के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर 125 रुपए का स्माकर सिक्का जारी किया और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभा को भी संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परसो श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी और आज हम श्रील प्रभुपाद जी की 125वीं जन्मजयंती मना रहे हैं, ये ऐसा है जैसे साधना का सुख और संतोष एक साथ मिल जाए, इसी भाव को आज पूरी दुनिया में श्रील प्रभुपाद स्वामी के लाखों करोड़ों अनुयायी और लाखों करोड़ों कृष्ण भक्त अनुभव कर रहे हैं, प्रभुपाद ने करीब 100 से ज्यादा मंदिरों की स्थापना की है।

प्रभुपाद स्वामी एक अलौकिक कृष्णभक्त थे- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज ये सुखद संयोग है कि ऐसे महान देशभक्त का 125वां जन्मदिन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश अपनी अपनी आजादी के 75 साल का पर्व अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि ‘हम सब जानते हैं कि प्रभुपाद स्वामी एक अलौकिक कृष्णभक्त तो थे ही, साथ ही वो एक महान भारत भक्त भी थे, वो देश के स्वतंत्रता संग्राम में संघर्ष किए थे, उन्होंने असहयोग आंदोलन के समर्थन में स्कॉटिश कॉलेज से अपना डिप्लोमा तक लेने से मना कर दिया था।’

आयुर्वेद का लाभ पूरी दुनिया को मिले- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अमृत महोत्सव में भारत ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास ये मंत्र के साथ ऐसे ही संकल्पों के साथ अपनी आगे की यात्रा का आधार बनाया है, हमारे इन संकल्पों के केंद्र में, हमारे इन लक्ष्यों के मूल में भी वैश्विक कल्याण की ही भावना है। उन्होंने कहा कि मानवता के हित में भारत दुनिया को कितना कुछ दे सकता है, आज इसका एक बड़ा उदाहरण है विश्व भर में फैला हुआ हमारा योग का ज्ञान और योग की परंपरा, भारत की जो सस्टेनबल लाइफस्टाइल है, आयुर्वेद जैसे जो विज्ञान हैं, हमारा संकल्प है कि इसका लाभ पूरी दुनिया को मिले।

चैतन्य ने विश्वास से आत्मविश्वास का मंत्र दिया- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम जब भी किसी दूसरे देश में जाते हैं, और वहां जब लोग ‘हरे कृष्ण’ बोलकर मिलते हैं तो हमें कितना अपनापन लगता है, कितना गौरव भी होता है, कल्पना करिए, यही अपनापन जब हमें मेक इन इंडिया प्रोडक्ट्स के लिए मिलेगा, तो हमें कैसा लगेगा। उन्होंने कहा कि आज विद्वान इस बात का आंकलन करते हैं कि अगर भक्तिकाल की सामाजिक क्रांति न होती तो भारत न जाने कहां होता, किस स्वरूप में होता, उस कठिन समय में चैतन्य महाप्रभु जैसे संतों ने हमारे समाज को भक्ति की भावना से बांधा, उन्होंने ‘विश्वास से आत्मविश्वास’ का मंत्र दिया।

विवेकानंद ने वेद-वेदान्त को पश्चिम तक पहुंचाया- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक समय अगर स्वामी विवेकानंद जैसे मनीषी आए जिन्होंने वेद-वेदान्त को पश्चिम तक पहुंचाया, तो वहीं विश्व को जब भक्तियोग को देने की जिम्मेदारी आई तो श्रील प्रभुपाद जी और इस्कॉन ने इस महान कार्य का बीड़ा उठाया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के अलग-अलग देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं, कितने ही गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं, इस्कॉन ने दुनिया को बताया है कि भारत के लिए आस्था का मतलब है- उमंग, उत्साह, और उल्लास और मानवता पर विश्वास।

प्रभुपाद गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे
गौरतलब है कि अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1 सितंबर 1896-14 नवंबर 1977) जिन्हें स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है, वे सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने इंटरनेशनल सोसाइटी फोर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISCKON) की स्थापना की थी, जिसे आमतौर पर ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के रूप में जाना जाता है। इस्कॉन (अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) ने श्रीमद्भगवद् गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया, जो दुनिया भर में वैदिक साहित्य के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, स्वामीजी ने 100 से अधिक मंदिरों की भी स्थापना की और दुनिया को भक्ति योग का मार्ग दिखाने वाली कई किताबें लिखीं।

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