अब सड़क हादसे में घायलों की मदद करने से घबराने की जरुरत नहीं है। सड़क हादसे में लोग पुलिस के डर से घायलों को मदद करने से हिचकते थे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसके लिए नया नियम बना दिया है।
केंद्र ने बनाया ‘नेक आदमी’ के संरक्षण के नियम
अक्सर देखने में आता है कि सड़क किनारे कोई दुर्घटना हो जाती है और कोई मदद को आगे नहीं आता। इसकी वजह होती है कि ऐसे मामलों में मदद करने वाले को पुलिस द्वारा परेशान किया जाता है, लेकिन अब केंद्र सरकार ने ऐसे ‘नेक आदमी’ के संरक्षण के नियम बना दिए हैं। इसके चलते पुलिस अब ऐसे लोगों पर पहचान जाहिर करने का दबाव नहीं बना सकेगी। केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर को मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 में एक नई धारा 134 (ए) को जोड़ा है। यह धारा सड़क हादसों के दौरान पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने वाले ‘नेक आदमी’ को संरक्षण प्रदान करती है।
मददगार को अपनी पहचान बताना जरूरी नहीं
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ऐसे मददगार लोगों के संरक्षण के नियम जारी किए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ऐसे लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए, उनके साथ धर्म, राष्ट्रीयता, जाति और लिंग को लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। बयान के मुताबिक, ‘कोई भी पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति ऐसे मददगार पर उनकी पहचान, पता या अन्य निजी जानकारी साझा करने का दबाव नहीं बना सकेगा। हालांकि, यदि व्यक्ति चाहे तो स्वैच्छिक आधार पर जानकारी दे सकता है।’
देश में प्रतिवर्ष 150000 लोगों की सड़क हादसों में मौत
इसके अलावा हर सरकारी और निजी अस्पताल को ऐसे ‘मददगार’ के संरक्षण से जुड़े अधिकारों को अपनी वेबसाइट, परिसर के प्रवेश द्वार और अन्य स्थानों पर प्रदर्शित करना होगा। उनके अधिकार हिंदी, अंग्रेजी या अन्य स्थानीय भाषाओं में प्रदर्शित करने होंगे। इतना ही नहीं यदि सड़क दुर्घटना के किसी मामले में मदद करने वाला व्यक्ति स्वैच्छिक रूप से गवाह बनना चाहता है तो उसके बयान इत्यादि इन्हीं नियमों के आधार पर दर्ज करने होंगे। अध्याय में इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस और प्रक्रिया दी गयी है। गौरतलब है कि भारत में प्रतिवर्ष करीब 1,50,000 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो जाती है।