
बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में सीट बंटवारे के मामले को सुलझाने में लगे एनडीए यानि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी यानि एलजेपी में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला अभी भी नहीं थम रहा है, बल्कि अब और भी तेज हो गया है।
‘सात निश्चय’ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई- एलजेपी
एलजेपी ने आज 2 अक्टूबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी योजना ‘सात निश्चय’ पर निशाना साधते हुए कहा कि यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। एलजेपी ने अपने अधिकारिक बयान में कहा है कि वह नीतीश कुमार की ‘सात निश्चय’ योजना को नहीं मानती है। एलजेपी के प्रवक्ता अशरफ अंसारी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सात निश्चय के सारे काम अधूरे हैं, जिन लोगों ने भी इस योजना के काम किए उनके पैसों का भुगतान तक नहीं हुआ है।
‘सात निश्चय’ की हकीकत गांवों में देखिए- एलजेपी
एलजेपी ने कहा गया है कि ‘सात निश्चय’ योजना की हकीकत बिहार के गांवों में देखी जा सकती है, सात निश्चय योजना भ्रष्टाचार का पिटारा है। एलजेपी के बयान में कहा गया है कि एलजेपी अगली सरकार में ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ विजन डाक्यूमेंट को लागू करेगी। एलजेपी के बयान के बाद जदयू का अब तक कोई बयान नहीं सामने आया है, लेकिन यह तय है कि भले ही सभी दलों में बैठकों का दौर जारी हो, लेकिन अब तक एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
संसदीय बोर्ड की बैठक 3 अक्टूबर को शाम 5 बजे
एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कल 3 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है, जिसमें यह तय होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी या फिर अकेले। एलजेपी के प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने कहा कि बैठक शाम 5 बजे होगी, जिसमें सीट बंटवारे के फार्मूले पर चर्चा होगी और यह भी तय होगा कि पार्टी को अपने दम पर लड़ना चाहिए या गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, कल की बैठक में सभी 143 प्रत्याशियों पर चर्चा होगी, यानि एलजेपी 143 सीटों पर उम्मीदवारों की उतारने की राह देख रही है, ऐसे में अगर वो एनडीए से अलग भी हो जाती है तो हैरानी बात नहीं होगी।