भारत में अगर लॉकडाउन नहीं होता तो 3 मई तक 4.3 लाख कोरोना मरीज होते, मरने वालों की संख्या 33 हजार होती !

वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ पूरी दुनिया के साथ भारत एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहा है, पूरी दुनिया में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 38 लाख को पार कर चुकी है, जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या 2 लाख 65 हजार से अधिक हो गई। भारत में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 53 हजार को पार कर चुकी है तथा कोरोना से मरने वालों की संख्या 1780 को पार कर चुकी है।

भारत में कोरोना संक्रमित 53 हजार के पार, मरने वालों की संख्या 1787 पहुंची

वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ पूरी दुनिया के साथ भारत एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहा है, पूरी दुनिया में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 38 लाख को पार कर चुकी है, जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या 2 लाख 65 हजार से अधिक हो गई। भारत में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 53 हजार को पार कर चुकी है तथा कोरोना से मरने वालों की संख्या 1780 को पार कर चुकी है। कोविड-19 के कारण भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन करना पड़ा है, हालांकि लॉकडाउन के बावजूद कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, लेकिन यदि भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो क्या होता, इसके बारे में सोचने की जरूरत है।

देश में लॉकडाउन नहीं होता तो, 3 मई तक 4.30 लाख कोरोना से संक्रमित होते

भारत में केंद्र सरकार द्वारा 25 मार्च से 17 मई तक के लिए देशव्यापी लॉकडाउन अभी लागू है, फिर भी कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। मुंबई के आईआईपीएस यानि इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि यदि भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो 3 मई, 2020 तक यहां 4 लाख 30 हजार से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित होते तथा करीब 33 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी होती। आईआईपीएस ने इस शोध के लिए आरओ यानि रिप्रोडक्शन नंबर पैमाने का प्रयोग किया गया है। भारत में लॉकडाउन से पहले आरओ की गणना 2.56 थी, जो लॉकडाउन के बाद 1.16 हो गई है।

लॉकडाउन का मकसद प्रति व्यक्ति कोरोना संक्रमण 1 से कम रखना था

इस गणना को हम सीधे शब्दों में समझें तो लॉकडाउन से पहले एक व्यक्ति 2.56 लोगों को कोरोना से संक्रमित कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद 3 मई तक 1.16 लोगों को कोरोना से संक्रमित कर रहा है। इस शोध का नेतृत्व करने वाले लक्ष्मी कांत द्विवेदी के मुताबिक, लॉकडाउन का मकसद प्रति व्यक्ति कोरोना संक्रमण 1 से कम रखना था, 4-16 अप्रैल के बीच आरओ करीब 1.56 था जो कि 3 मई को 1.16 से कम हो गया, लेकिन अभी भी यह उम्मीद से ज्यादा ही है। लक्ष्मी कांत द्विवेदी ने कहा कि यदि भारत में लॉकडाउन का पालन कायदे से नहीं होता है, तो यह संख्या फिर से बढ़ सकती है।

लॉकडाउन ने भारत में कोरोना के संक्रमण को 8 गुणा कम किया

आईआईपीएस के रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण भारत ने कोरोना के संक्रमण को करीब 8 गुणा कम किया है, यदि भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो अप्रैल के अंत तक यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 4 लाख के आंकड़े को पार कर गई होती। इस रिपोर्ट के मुताबिक, यदि भारत में लॉकडाउन नहीं किया गया होता, तो एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या अप्रैल के अंत तक 2.5 लाख होती।

लॉकडाउन नहीं होता तो 3 मई तक कोरोना से 34,319 लोगों की मौत हुई होती

आईआईपीएस के रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अगर लॉकडाउन नहीं होता तो 3 मई, 2020 तक 4,34,431 लोग कोरोना संक्रमित होते तथा 34,319 लोगों की मौत हुई होती, लेकिन लॉकडाउन का फायदा यह मिला कि यह संख्या 40,263 ही रही, जबकि कोरोना से मौत की संख्या 1304 रही है। ऐसे में कुल मिला कर देखा जाए तो कोरोना महामारी को रोकने का एक ही रास्ता है तथा वह है लॉकडाउन एवं उसका कायदे से पालन करना।

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