देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में एक बार फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया है। दरअसल, दिल्ली का शाहीन बाग पहली बार सुर्खियों में तब आया था, जब यहां पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ व्यापक आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किया गया था।
हिजाब विवाद अब दिल्ली में दिया दस्तक
कर्नाटक का हिजाब विवाद अब देश की राजधानी दिल्ली में भी दस्तक दे चुका है और एक बार फिर शाहीन बाग इसको लेकर सुर्खियों में आ गया है। दिल्ली के शाहीन बाग पर कुछ लड़कियां कर्नाटक के हिजाब विवाद के खिलाफ उतर आई हैं और नारेबाजी कर रही हैं। ध्यान रहे कि दिल्ली का शाहीन बाग साल 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया था, हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देख सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया था, लेकिन आज एक बार फिर अब शाहीन बाग पर प्रदर्शनकारी इकट्ठा होने लगे हैं और इस बार वो हिजाब के समर्थन में हैं।
हिजाब पहनना हमारा अधिकार- प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि वो शाहीन बाग में कर्नाटक के उडुपी और अन्य इलाकों में हिजाब को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद हिजाब के समर्थन में यहां इकट्ठा हुई हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक और धार्मिक अधिकार है और वो इसके समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में प्रदर्शन कर रही एक लड़की ने कहा कि ‘कर्नाटक की जो हिजाबी लड़कियां हैं हम उनका साथ दे रहे हैं, हिजाब हमारा अधिकार है, हम यहां से ये संदेश देना चाहते हैं कि हम उनके साथ हैं।’ ड्रेस कोड को लेकर प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि हिजाब पहनने में मसला क्या है, स्कूल में सरस्वती वंदना होती है, अन्य त्योहार मनाए जाते हैं, वैसे ही हिजाब पहनना हमारा अधिकार है।
कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद
गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में उडुपी महिला पीयू कॉलेज की 6 छात्राओं ने ऐसा दावा किया था कि अधिकारियों की तरफ से कथित तौर पर उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने से मना किया है, इसे लेकर छात्राओं ने कॉलेज के गेट पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया था। छात्राओं ने जिला आयुक्त, शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी इस मामले को लेकर संपर्क किया, लेकिन लड़कियों ने अब कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राहत की मांग की है, वहीं कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस कृष्णा दीक्षित की सिंगल बेंच ने कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अब बड़ी बेंच के सामने भेज दिया है।
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने दिया बयान
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीवी नागेश ने बताया है कि सरकार की ओर से कोई नया कानून नहीं बनाया गया है, बस पुराने कानूनों का ही पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने कोई नया कानून नहीं बनाया पुराना कानून है यह जिसके मुताबिक प्रिसक्राइब यूनिफार्म पहनना जरूरी है, हिजाब प्रिसक्राइब यूनिफार्म में नहीं आता है, वो लड़कियां जो उडुपी में हिजाब पहनने का विरोध कर रही हैं वह खुद दिसंबर 2021 तक हिजाब पहनकर आ रही थीं हमारे पास इसका वीडियो है, संविधान में दिए गए अधिकार के बारे में मुझे कुछ नहीं बोलना मामला कोर्ट तय करेगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां यूपी चुनाव को देखते हुए इस मामले को भड़काना चाहती हैं विपक्ष इस मामले पर राजनीति कर रहा है हम नहीं।
प्रदर्शनकारियों को मिला विपक्षी पार्टियों का साथ
हालांकि, कर्नाटक का ये हिजाब विवाद अब देश के कई हिस्सों में पहुंच चुका है। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में भी हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता भी इसको लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी उडुपी की प्रदर्शनकारी महिलाओं के समर्थन में हैं, उनका कहना है कि मुस्लिम महिलाओं की तरफ से अपने संवैधानिक अधिकारी की लड़ाई है, भारत के संविधान में अब राइट टू चॉइस एक संवैधानिक अधिकार है, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुत्तुस्वामी जजमेंट में साफ तौर पर कहा है कि आप किसी को फोर्स नहीं कर सकते हैं कि वो क्या खाएं और क्या कपड़े पहनें।
प्रियंका गांधी ने किया प्रदर्शनकारियों का समर्थन
कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि ये एक महिला का अधिकार है कि वो खुद तय करे कि उसे क्या पहनना है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा है कि चाहे वो बिकनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब, ये एक महिला का अधिकार है कि वो खुद तय करे कि उसे क्या पहनना है, उसे ये अधिकार भारतीय संविधान ने दिया है।