बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 के संपन्न होने के बाद बिहार में विवादों का दौर लगातार जारी है। इसी बीच अब बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद की उम्र को लेकर विवाद छिड़ गया है।
तारकिशोर प्रसाद की उम्र को लेकर विवाद शुरू
बिहार में नीतीश कुमार सरकार के गठन के बाद पहले शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को लेकर सियासी घमसान मचा और उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, अब इसके बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तारकिशोर प्रसाद की उम्र को लेकर विवाद की शुरुआत चुनाव आयोग को सौंपे गए उनके वर्ष 2005 से 2020 तक के हलफनामे में दिए गए उम्र संबंधी जानकारी को लेकर हुई है।
हर हलफनामे में उम्र घोटाला
दरअसल, 2005 के विधानसभा चुनाव में तारकिशोर प्रसाद ने चुनाव आयोग को जो हलफनामा सौंपा है उसमें उन्होंने अपनी उम्र 48 वर्ष बताई है, वहीं बिहार विधानसभा चुनाव 2010 में उन्होंने चुनाव आयोग को जो हलफनामा सौंपा है उसमें उन्होंने अपनी उम्र 49 वर्ष बताई है, जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव आयोग को जो हलफनामा सौंपा है उसमें उन्होंने अपनी उम्र 52 वर्ष बताई है तथा इस बार यानि 2020 के चुनाव में उन्होंने चुनाव आयोग को जो हलफनामा सौंपा है उसमें उन्होंने अपनी उम्र 64 वर्ष बताई है।
2005-2020 तक के हलफनामे से विवाद
इस बात को लेकर विवाद है कि उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की उम्र कैसे 2005-2010 के बीच 1 वर्ष, 2010-2015 के बीच 3 वर्ष और 2015-2020 के बीच 12 वर्ष बढ़ गई, उनकी ओर से की गई इस गड़बड़ी को लेकर अब बिहार की सियासत गरमा गई है। बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राजद ने तारकिशोर प्रसाद की उम्र को लेकर उन पर हमला बोला है।
उम्र घोटाले पर राज्य में सियासत जारी
राजद ने ट्वीट करके कहा कि ‘बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद अपनी उम्र में ही घोटाला एवं कमीशन के लिए ठेकेदारों को धमकाने और अपने सभी पारिवारिक सदस्यों को ठेकेदार बनाने में भी लिप्त हैं, पूरा कटिहार जानता है बिना कमीशन के ये क्षेत्र में कोई काम नहीं करते, अब इनके कारनामों से संपूर्ण बिहार परिचित होगा।’ बहरहाल, उम्र को लेकर उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की ओर से किए गए इस घोटाले पर राज्य में सियासत जारी है, अब देखना यह है कि आगे यह सियासत क्या मोड़ लेती है।