वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के बारे में बड़ी खबर आ रही है। कांग्रेस पार्टी दो गुटों युवा और अनुभवी नेताओं के बीच में बंटी हुई नजर आ रही है।
कांग्रेस में युवा तुर्क और अनुभवी नेताओं के बीच तलवारें खिंची
वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के बारे में बड़ी खबर आ रही है। कांग्रेस पार्टी दो गुटों युवा और अनुभवी नेताओं के बीच में बंटी हुई नजर आ रही है। कांग्रेस में एक बार फिर युवा तुर्क और अनुभवी नेताओं के बीच तलवारें खिंच गई हैं। राज्यसभा सांसदों की बैठक में कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में दोनों गुटों के बीच तीखी बहस हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कल यानि 31 जुलाई को राहुल गांधी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाते हुए सोनिया सोनिया गांधी को पत्र भेजा है, इसमें स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति और केंद्रीय पदाधिकारियों के पारदर्शी चुनाव की मांग की गई है।
पार्टी के कुछ नेताओं ने राहुल को दोबारा अध्यक्ष बनाने की मांग की
दूसरी ओर राहुल गांधी समर्थक माने जाने वाले पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पीएल पुनिया, राजीव सातव, रिपुन बोरा और छाया वर्मा ने बैठक में राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाने की मांग की, इन लोगों का कहना था कि आज के राजनीतिक परिदृश्य में सिर्फ राहुल गांधी ही एक विश्वसनीय विपक्ष की भूमिका अदा कर रहे हैं, वह हर जरूरी विषय पर केंद्र सरकार से तीखे सवाल कर उसे कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ने राहुल की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए
उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा आदि ने राहुल गांधी की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए। आनंद शर्मा ने पूछा कि वेणुगोपाल और राजीव सातव को राज्यसभा में भेजने का फैसला राहुल गांधी ने किसकी सलाह पर किया और किस हैसियत से, सिब्बल ने राहुल गांधी द्वारा ट्विटर पर केंद्र सरकार से सवाल पूछने की शैली की कड़ी आलोचना की तथा उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता राहुल गांधी को यह सवाल पूछने की सलाह कौन देता है और उसे विदेश और रक्षा नीति का कितना ज्ञान है। पी चिदंबरम ने पार्टी के कमजोर होते संगठन पर चिंता व्यक्त की।
राहुल गुट के सांसदों ने पुराने नेताओं पर केंद्र में सरकार गंवाने का आरोप लगाया
कांग्रेस के कुछ सांसदों ने कहा कि राहुल गांधी के सबसे करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे नेता ही पार्टी की पीठ में छुरा भोंक रहे हैं, ऐसे में राहुल गांधी यदि कांग्रेस अध्यक्ष बना दिए गए तो पार्टी कैसे चलाएंगे। कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं के इस तेवर से पलटवार से तिलमिलाए राहुल गुट के सांसदों ने पुराने नेताओं पर यूपीए-2 के दौरान खराब प्रशासन के चलते सरकार गंवाने का आरोप लगा दिया, उनका कहना था कि तब वरिष्ठ मंत्री रहे इन सांसदों की वजह से पार्टी को जो नुकसान हुआ उसका खामियाजा वह अभी तक भुगत रही है।
कुछ नेताओं को पार्टी में 1967 जैसी फुट की आशंका
कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस एक बार फिर 1967 जैसी परिस्थितियों का सामना कर रही है, तब के कामराज के नेतृत्व में बुजुर्ग नेताओं ने इंदिरा गांधी को पार्टी से निकाल दिया था और इंदिरा ने अलग पार्टी बना ली थी, हालांकि वह ज्यादा सफल नहीं हो पाई थीं, लेकिन 1971 के पाकिस्तान युद्ध में जीत के बाद इंदिरा कांग्रेस ने धमाकेदार जीत दर्ज की थी। देखना है इस बार जीत युवा तुर्कों की होती है या बुजुर्गों की।