बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में आज 25 नवंबर को एनडीए की ओर से उम्मीदवार भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा विजयी रहे। सदन में भारी हंगामे के बाद कुल 243 सदस्यीय विधानसभा में 240 सदस्यों ने वोटिंग की।
विजय सिन्हा बने विधानसभा के नए अध्यक्ष
17वीं बिहार विधानसभा में आज विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया है। विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में विजय कुमार सिन्हा को कुल 126 वोट मिले, जबकि महागठबंधन उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 114 वोट मिले। विधानसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव में महागठबंधन की ओर से उतरे राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी भले ही हार गए हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विपक्ष को एकजुट करने में सफल रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के विधायकों से लेकर बसपा के एकलौते विधायक तक ने महागठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया है।
नीतीश-तेजस्वी ने स्पीकर को आसन तक ले गए
प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी ने घोषणा की कि विजय कुमार सिन्हा बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष होंगे, इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विजय कुमार सिन्हा को आसन तक लेकर आए, जिसके बाद विजय कुमार सिन्हा ने अध्यक्ष का पद संभाला। ध्यान रहे कि 51 सालों के बाद बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। वर्ष 1969 में सत्ता पक्ष की ओर से राम नारायण मंडल उम्मीदवार थे और विपक्ष ने रामदेव प्रसाद को विरोध में उतारा था, तब विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था, जिसमें राम नारायण मंडल की जीत हुई थी।
विजय सिन्हा चौथी बार विधायक बने हैं
बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा चौथी बार लखीसराय विधानसभा से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। विजय कुमार सिन्हा मार्च, 2005 में वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए लेकिन अक्टूबर, 2005 के चुनाव में 80 मतों से हार गए, साल 2010 में फिर जीत हासिल हुई, उसके बाद 2015 और 2020 में भी वे लखीसराय से चुनाव जीते। विजय कुमार सिन्हा को 29 जुलाई, 2017 को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में श्रम संसाधन विभाग का मंत्री बनाया गया, बतौर मंत्री वे बेगूसराय के प्रभारी मंत्री रहे थे।
सीएम को सदन से निकालने की मांग हुई थी
दरसअल आज सत्र के दौरान जब 4 विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने सर्वसम्मति से स्पीकर के चयन का प्रस्ताव रखा तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री अशोक चौधरी और मुकेश सहनी को सदन से बाहर निकालने की मांग करने लगे, इसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने मुकेश सहनी और अशोक चौधरी को सदन से बाहर जाने का आदेश दिया, जबकि नीतीश कुमार सदन में ही मौजूद रहे।
लालू सांसद थे, तभी सदन में मौजूद थे- मांझी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा जब नीतीश कुमार पर सवाल उठाया गया तो प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी ने तेजस्वी को कहा कि मुख्यमंत्री ही विधानसभा का नेता होता है और अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने और परिणाम सामने आने के बाद नीतीश कुमार ही नवनिर्वाचित स्पीकर को कुर्सी पर बैठाएंगे, ऐसे में उनका सदन में होना अनिवार्य है और इसमें कोई अनुचित बात नहीं है। जीतनराम मांझी ने यह भी कहा कि इस सदन ने राबड़ी देवी शासनकाल में यह भी देखा कि लालू यादव सांसद थे, वे विधायक नहीं थे तब भी वो सदन में मौजूद थे।
विपक्ष ने की थी गुप्त मतदान की मांग
प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी ने पहले वॉयस वोटिंग कराई लेकिन, विपक्ष गुप्त मतदान पर अड़ा रहा। प्रोटेम स्पीकर मांझी ने साफ कर दिया कि संविधान में गुप्त मतदान के प्रावधान नहीं, अलबत्ता जीतनराम मांझी ने मत विभाजन से चुनाव कराने की मंजूरी जरूरी दी। मत विभाजन से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई तो पहले सत्ता पक्ष के विधायक अपने स्थान पर खड़े हुए इसके बाद विपक्ष के, बारी-बारी से दोनों बेंच के सदस्यों की गिनती की गई और प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी ने एनडीए के प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा को विजयी घोषित किया।