प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के लिए गेहूं और सरसों समेत 6 रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करने को मंजूरी दे दी है।
6 रबी फसलों के एमएसपी में इजाफे का ऐलान
केंद्र सरकार ने आज 8 सितंबर को मौजूदा फसल वर्ष के लिए गेहूं और सरसों समेत 6 रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफे का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट कमिटी ऑन इकॉनमिक अफेयर्स (CCEA) की बैठक में एमएसपी बढ़ाने का यह फैसला लिया गया है। गेहूं की एमएसपी 40 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दी गई है, गेहूं की खरीद मूल्य को 1975 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2015 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
सरसों की एमएसपी अब प्रति क्विंटल 5050 रुपए
सरसों की एमएसपी 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5050 रुपए कर दी गई है। जौ की एमएसपी 35 रुपए बढ़ाकर 1635 रुपए प्रति क्विंटल कर दी गई है। चने की कीमत 130 रुपए बढ़ाकर 5230 रुपए प्रति क्विंटल कर दी गई है। मसूर की एमएसपी 400 रुपए बढ़ाने के बाद 5500 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। कुसुम की एमएसपी 114 रुपए बढ़ाकर 5441 रुपए प्रति क्विंटल करने का फैसला लिया गया है।
रबी सीजन के मुख्य फसल हैं गेहूं और सरसों
ध्यान रहे कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह कीमत है जिस पर सरकार किसानों से फसल की खरीद करती है, इस समय सरकार खरीफ और रबी सीजन के 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है। रबी फसलों की बुआई अक्टूबर में खरीफ फसल की कटाई के तुरंत बाद होती है। गेहूं और सरसों रबी सीजन के दो मुख्य फसल हैं।
गेहूं की एमएसपी अब प्रति क्विंटल 2015 रुपए
सीसीईए ने 2021-22 फसल वर्ष और 2022-23 मार्केटिंग सीजन के लिए 6 रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाई है। गेहूं की एमएसपी इस साल 40 रुपए बढ़ाकर प्रति क्विंटल 2015 रुपए कर दी गई है, जोकि पिछले सीजन में 1975 रुपए थी। प्रति क्विंटल गेहूं की अनुमानित लागत 1008 रुपए प्रति क्विंटल है। गौरतलब है कि सरकार ने 2021-22 खरीद सीजन में रिकॉर्ड 4.3 करोड़ टन गेहूं की खरीद की थी।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज
केंद्र की मोदी सरकार ने एमएसपी में इजाफे का फैसला ऐसे समय पर लिया है जब एक बार फिर किसानों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को तेज कर दिया है। हाल ही में किसान संगठनों ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत की है। कुछ ही महीनों बाद यूपी, पंजाब सहित 5 राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, माना जा रहा है कि यूपी और पंजाब में भाजपा को किसानों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है।