केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवादी संगठन अल उमर मुजाहिदीन के संस्थापक मुश्ताक अहमद जरगर को ‘डेजिग्नेटिड टेररिस्ट’ (नामित आतंकवादी) घोषित किया है। दरअसल, 24 दिसंबर 1999 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को मुश्ताक अहमद जरगर ने कब्जे में ले लिया था और इसकी लैंडिंग अफगानिस्तान के कंधार में कराई थी, उस वक्त भी अफगानिस्तान में तालिबानी शासन था।
मुस्ताक अहमद जरगर डेजिग्नेटिड टेररिस्ट घोषित
आतंकवाद के खिलाफ कड़े निर्णय लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवादी संगठन अल उमर मुजाहिदीन के प्रमुख कमांडर मुस्ताक अहमद जरगर उर्फ लटरम को आतंकवाद विशेष अधिनियम कानून के तहत डेजिग्नेटिड टेररिस्ट (नामित आतंकवादी) घोषित कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों कुख्यात आतंकवादी सरगना हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद को भी डेजिग्नेटिड टेररिस्ट घोषित किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि मुस्ताक अहमद जरगर उर्फ लटरम मूल का जम्मू कश्मीर के श्रीनगर इलाके का रहने वाला था, 1985 के दौरान वह आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया और घाटी में भारत के खिलाफ आतंकवादी काम करने लगा अपने ग्रुप के साथ मिलकर जरगर ने 12 दिसंबर 1989 को भारत के नवनियुक्त केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण भी किया था, इस अपहरण के बाद आतंकवादियों ने पुलिस गिरफ्त में मौजूद अपने 5 साथियों की रिहाई की मांग की थी। इस अपहरण कांड को लेकर काफी हो-हल्ला मचा लेकिन केंद्र सरकार को आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा तब कहीं जाकर रुबिया सईद की रिहाई हो सकी थी।
IC-814 विमान का साल 1999 में अपहरण हुआ था
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक, साल 1991 में जरगर ने अपना खुद का आतंकवादी संगठन बनाया, जिसका नाम उसने अलवर मुजाहिदीन रखा, इसके बाद जरगर ने जम्मू कश्मीर में ताबड़तोड़ हत्या की, इनमें कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों की हत्याएं भी शामिल है। केंद्र सरकार ने जरगर को पकड़ने के लिए रात दिन एक कर दिया और उसके बाद 15 मई 1992 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया, तब तक उस पर 3 दर्जन से ज्यादा हत्याओं तथा अन्य संगीन अपराधों के मुकदमे दर्ज हो चुके थे। इसके बाद इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट संख्या IC-814 का आतंकवादियों ने साल 1999 में अपहरण कर लिया, इस जहाज को पहले पाकिस्तान में उतारने की कोशिश की गई लेकिन बाद में उसे दुबई होते हुए अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर ले जाया गया। आरोप है कि अफगानिस्तान में मौजूद तत्कालीन तालिबान सरकार ने इन आतंकवादियों का साथ दिया.,उसके बाद इन आतंकवादियों ने जहाज और यात्रियों को छोड़ने के बदले अपने साथियों की रिहाई की मांग की जिन आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की गई उनमें मुस्ताक अहमद जरगर का नाम भी शामिल था।
तल्हा सईद भी डेजिग्नेटिड टेररिस्ट घोषित हुआ था
भारत सरकार ने अन्य आतंकवादियों के साथ जरगर को भी रिहा कर दिया जिसके बाद वह पाकिस्तान चला गया वहां रहकर उसने भारत के खिलाफ तमाम आतंकवादी गतिविधियां चलानी शुरू कर दी। पाकिस्तान ने एक बार साल 2002 में दावा भी किया था कि उसने जरगर को कथित तौर पर गिरफ्तार भी किया है, लेकिन खुफिया एजेंसियों की मानें तो जरगर बिना किसी गिरफ्तारी के पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ लगातार आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है, अभी भी वह भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां चला रहा है, इन तमाम तथ्यों के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसे विशेष आतंकवाद निरोधक कानून के तहत डेजिग्नेटिड टेररिस्ट घोषित कर दिया है। ध्यान रहे कि आतंकवाद को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लगातार लगाम कसनी शुरू कर दी है इसके पहले दाऊद इब्राहिम हाफिज सईद और उसके बाद हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद को केंद्रीय गृह मंत्रालय डेजिग्नेटिड टेररिस्ट घोषित कर चुका है।