Air India Bid: टाटा ग्रुप को मिली एयर इंडिया की कमान, कंपनी ने लगाई 18 हजार करोड़ रुपए की बोली

केंद्र की मोदी सरकार एयर इंडिया को बेचने की कोशिश पिछले कई सालों से कर रही थी, लेकिन इसे उचित खरीदार नहीं मिल रहा था, अब एयर इंडिया टाटा ग्रुप की हो गई है, एक बार फिर से यह एयर इंडिया अपने पुराने मालिक के पास पहुंच गया।

टाटा ग्रुप को मिली एयर इंडिया की कमान
टाटा ग्रुप को आज एयर इंडिया की कमान मिली है। टाटा ग्रुप ने सबसे बड़ी बोली लगाई। निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने आज 8 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि मंत्रियों की समिति ने एयर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी है। टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 18000 करोड़ रुपए की विजेता बोली दी। तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि टाटा की 18000 करोड़ रुपए की सफल बोली में 15300 करोड़ रुपए का कर्ज लेना और बाकी 2700 करोड़ रुपए नकद भुगतान शामिल है।

टाटा से 2700 करोड़ रुपए नकद मिलेंगे- पांडेय
तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा से 2700 करोड़ रुपए नकद मिलेंगे। उन्होंने कहा कि टाटा संस की एयर इंडिया के लिए 18000 करोड़ रुपए की सफल बोली केंद्र सरकार द्वारा तय 12906 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य से अधिक है। तुहिन कांत पांडेय ने कहा टाटा को एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों को 1 साल के लिए रखना होगा, दूसरे साल वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना की पेशकश कर सकती है।

टाटा ने लगाई 18 हजार करोड़ रुपए की बोली
एयर इंडिया के लिए टाटा संस ने 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाई, जबकि स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। माना जा रहा है कि यह ट्रांजैक्शन दिसंबर 2021 तक पूरा हो जाएगा। Talace Pvt Ltd के जरिए टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाई, इस कंपनी की स्थापना मुख्य रूप से इसी काम के लिए अगस्त 2020 में की गई थी। ध्यान रहे कि एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (AISAM) पैनल ने एयर इंडिया की फाइनेंशियल बोली पर फैसला लिया है, इस पैनल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई महत्वपूर्ण मंत्री और अधिकारी शामिल हैं।

रतन टाटा ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया
रतन टाटा ने कंपनी की बोली स्वीकार करने के केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत किया। रतन टाटा ने पुरानी तस्वीर साझा करते हुए कहा कि ‘एयर इंडिया का फिर से स्वागत है।’ रतन टाटा ने एक बयान में कहा कि टाटा समूह का एयर इंडिया के लिए बोली जीतना बड़ी खबर है। रतन टाटा ने यह स्वीकार किया कि कर्ज में डूबी एयर इंडिया को पटरी पर लाने के लिए काफी प्रयास की जरूरत होगी, लेकिन यह जरूर है कि टाटा समूह के विमानन उद्योग में मौजूदगी को यह मजबूत बाजार अवसर उपलब्ध कराएगी।

Air India का 1953 में हुआ था राष्ट्रीयकरण
गौरतलब है कि जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी, तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था, यह अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी। एयर इंडिया का 1953 में राष्ट्रीयकरण किया गया था, इसके बाद एयर इंडिया की हिस्सेदारी सरकार के पास चली गई थी।

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