वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 21 दिनों के देशव्यापी लॉक डाउन के अंतिम दिन राष्ट्र के नाम संबोधन में देशव्यापी लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिए जाने के बाद मुंबई में प्रवासी मजदूरों ने जमकर हंगामा किया। हजारों प्रवासी मजदूर घर से बाहर निकल कर लॉक डाउन के नियमों को ध्वस्त कर दिया।
बांद्रा में हजारों प्रवासी मजदूरों ने लॉक डाउन को तोड़ा
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 21 दिनों के देशव्यापी लॉक डाउन के अंतिम दिन राष्ट्र के नाम संबोधन में देशव्यापी लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिए जाने के बाद आज मुंबई के बांद्रा में हजारों प्रवासी मजदूरों ने लॉक डाउन के नियमों को ध्वस्त करते हुए घर से बाहर निकल कर सड़कों पर जमकर हंगामा किया। प्रवासी मजदूरों की शिकायत है कि उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए उन्हें उनके गांव तक भेजा जाए, वे लोग बांद्रा वेस्ट के रेलवे स्टेशन के सामने जामा मस्जिद के पास खड़े हो गए थे, इसमें ज्यादातर प्रवासी मजदूर बिहार तथा उत्तर प्रदेश के हैं।
महाराष्ट्र सरकार पर उठे सवाल ?
प्रवासी मजदूरों के सड़कों पर हंगामा करने के तुरंत बाद स्थानीय नेताओं तथा मुंबई पुलिस के हस्तक्षेप के बाद सभी प्रवासी मजदूरों को हटाया गया। इस दौरान मुंबई पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। ध्यान रहे कि मुंबई का बांद्रा को हॉटस्पॉट घोषित किया जा चुका है, ऐसे में यहां इतनी बड़ी संख्या में लोगों का जुटना बहुत ही ज्यादा चिंता को बढ़ाने वाली बात है। इस तरह से इकट्ठे हुए भीड़ के लिए महाराष्ट्र सरकार तथा महाराष्ट्र पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में हजारों लोगों कैसे इकट्ठा हुए, दूसरी सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर इन हजारों लोगों के सामने क्या मजबूरी हुई कि वह सब इतनी बड़ी संख्या में एक जगह इकट्ठा हो गए, क्या इनके खाने-पीने का प्रबंध करने में महाराष्ट्र सरकार नाकाम रही है।
प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग कर रहे हैं
इस घटना के बाद एनसीपी के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम कर किए हुए है, सरकार प्रवासी मजदूरों खाना दे रही है, लेकिन वे लोग वापस अपने घर भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। नवाब मलिक ने कहा कि हमारी सरकार जिम्मेदारी से नहीं भाग रही है, हम इन प्रवासी मजदूरों को समझाएंगे, उनके पास अलग-अलग जगह से तरह-तरह के उनको बरगलाने वाले मैसेज मोबाइल पर आते है, लेकिन हम उन्हें कहीं जाने नहीं देंगे, इससे पहले भी हमारी सरकार ने किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी थी।
आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया
इस बीच महाराष्ट्र सरकार में पर्यटन एवं पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्विट करके केंद्र सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है, उन्होंने ट्विट करके कहा है कि जिस दिन से ट्रेनों को बंद किया गया है, उसी दिन से महाराष्ट्र सरकार ने ट्रेनों को और 24 घंटे चलाने का अनुरोध किया था, ताकि प्रवासी मजदूर अपने घर वापस जा सकें। आदित्य ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी ने भी इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुए मुख्यमंत्रियों के बैठक के दौरान भी उठाया था तथा साथ ही प्रवासी मजदूरों के लिए एक रोडमैप बनाने का अनुरोध किया था।
सिर्फ मुंबई में करीब 1600 कोरोना पॉजिटिव केस
ध्यान रहे कि देश में सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या महाराष्ट्र है, जहां इसकी संख्या 2455 पहुंच चुकी है, जिसमें अकेले मुंबई में ही करीब 1600 कोरोना पॉजिटिव केस हैं। अब तक भारत में कोरोना वायरस पॉजिटिव केसों की कुल संख्या 10,900 को पार कर चुकी है, कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 1226 हो गई है, जबकि कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या 365 हो चुकी है।
सूरत में भी प्रवासी मजदूरों ने किया था हंगामा
गौरतलब है कि 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिनों के चल रहे देशव्यापी लॉक डाउन से परेशान होकर गुजरात के सूरत में 10 अप्रैल की रात को प्रवासी मजदूरों ने लॉक डाउन को तोड़ कर घर से बाहर सड़कों पर निकल कर जमकर हंगामा किया था। इन मजदूरों ने अपनी सैलरी तथा खाना नहीं मिलने के कारण हंगामा किया था, इस दौरान मजदूरों ने आगजनी भी की थी तथा तोड़फोड़ भी किया था, इन मजदूरों में ज्यादातर लॉक डाउन के कारण फंसे हुए कपड़ा कारीगर थे।