बिहार की राजधानी पटना का पीएमसीएच भारत का सबसे बड़ा तथा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनेगा। अगले 7 साल में पीएमसीएच में 5462 बेड का अस्पताल पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।
भारत का सबसे बड़ा अस्पताल होगा PMCH
पटना का पीएमसीएच देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनेगा। 5540 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस अस्पताल में 5462 बेड होंगे। अभी विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल ताइवान का चांग गंग मेमोरियल हॉस्पीटल है, उसकी क्षमता 10 हजार बेड की है। पीएमसीएच में अभी कोविड वार्ड को मिलाकर लगभग 1800 बेड क्षमता है, अगले 7 साल में पीएमसीएच में 5462 बेड का अस्पताल पूरी तरह से तैयार हो जाएगा, यह 3 फेज में बनेगा।
फरवरी 2021 में किया गया था इसका शिलान्यास
पहले फेज में 2073 बेड का अस्पताल अगले 3 साल (2024) में तैयार होगा, यह 7 मंजिला होगा। दूसरे और तीसरे फेज में अन्य विभाग बनेंगे, इसमें एक ही छत के नीचे मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग हॉस्टल, डॉक्टर चैंबर, क्लास रूम, सभी जांच और पैथोलॉजी सुविधाएं, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड से लेकर एमआरआई, ब्लड बैंक आदि की सुविधाएं मिलेंगी। ध्यान रहे कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा फरवरी 2021 में इसका शिलान्यास किया गया था, उस अवसर पर उन्होंने निर्माण करने वाली एजेंसी को 7 साल की बजाय 5 साल में ही पूरा करने का आग्रह भी किया था।
36 सुपर स्पेशियलिटी विभाग बनाए जाएंगे
पीएमसीएच के नए भवन में कुल 36 सुपर स्पेशियलिटी भवन काम करेंगे, अभी यहां इनकी संख्या 8 है। साल 1925 में स्थापित पीएमसीएच देश के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है, यही नहीं यह भारत का सबसे पुराना कैंसर संस्थान भी है। पूरा भवन ऑटोमेटिक फायर फार्इंटग सिस्टम, मेडिकल गैस पाइपलाइन, पावर सब स्टेशन, अंडरग्राउंड सीवरेज प्रणाली, कचरा निष्पादन प्रणाली से युक्त होगा। करीब 5 हजार वाहनों की पार्किंग की भी व्यवस्था होगी। पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. बीपी चौधरी ने बताया कि बीएमएसआईसीएल की देखरेख में एलएनटी को इसके निर्माण का जिम्मा दिया गया है, कंपनी ने पहला फेज जनवरी 2024 में हस्तांतरित करने की बात कही है।
2024 में शुरू हो जाएगा किडनी-लिवर का प्रत्यारोपण
पीएमसीएच के नए भवन बनने के साथ ही यहां मरीजों को इलाज की कई नई सुविधाएं मिलेंगी, यहां कुल 28 नए विभाग खुलेंगे, जिनमें कई ऐसे विभाग हैं जो फिलहाल पीएमसीएच में कार्यरत नहीं हैं, इसमें अंग प्रत्यारोपण, मिनिमल इन्वैसिव सर्जरी, ट्रांस्फ्यूजन मेडिसीन, जेरियाट्रिक, जनरल आईसीयू का अलग से 265 बेड आदि शामिल हैं। प्राचार्य डॉ. बीपी चौधरी ने बताया कि अस्पताल बनने के बाद किसी भी बीमारी के लिए राज्य के नागरिकों को राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
बुजुर्ग नागरिकों के लिए अलग से होगा विभाग
डॉ. बीपी चौधरी ने कहा कि पहली बार यहां किडनी, लीवर आदि अंगों का प्रत्यारोपण शुरू हो जाएगा, यह सुविधा पहले फेज के निर्माण के बाद से ही मिलने लगेगी, इस इकाई में 55 बेड होंगे। इसके अलावा 60 साल से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों के लिए अलग से एक विभाग जेरियाट्रिक खुल रहा है, इसमें बुजुर्ग नागरिकों के लिए अलग से इलाज की व्यवस्था होगी, इसमें कुल 72 बेड होंगे। मिनिमल इन्वैसिव सर्जरी एक तरह से लैप्रोस्कोपिक और अन्य आधुनिक सर्जरी विभाग होगा, जहां गॉल ब्लाडर, हॉर्निया, हाइड्रोसिल, किडनी स्टोन जैसी सर्जरी बिना चीड़-फाड़ के दूरबीन विधि से की जा सकेगी।
एमबीबीएस की 250 सीटों पर नामांकन की सुविधा होगी
ट्रांसफ्यूजन मेडिसीन विभाग एक तरह से ब्लड बैंक और खून चढ़ाने की इकाई होगी, जहां ना सिर्फ खून चढ़ाने की बल्कि नए शोध आदि के कार्य भी होंगे, इसमें अलग जनरल आईसीयू भी होगा, जिसमें बेड क्षमता 265 बेड की होगी, यह 11 विभागों के 939 आईसीयू बेड के अलावा होगा। पहले फेज का निर्माण पूरा होने के बाद से ही 200 की बजाय एमबीबीएस की 250 सीटों पर नामांकन की सुविधा होगी।