
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वस्त और राज्यसभा में जदयू के नेता आरसीपी सिंह (रामचन्द्र प्रसाद सिंह) को जदयू (जनता दल यूनाइटेड) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। पटना में हुए जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन यह फैसला लिया गया है।
नीतीश ने आरसीपी को सौंपी जदयू की कमान
बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में जनता दल यूनाइटेड के खराब प्रदर्शन और पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में 6 पार्टी विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद 26-27 दिसम्बर को पटना में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को जदयू की कमान सौंपते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया। गौरतलब है कि अप्रैल, 2016 में शरद यादव के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने के बाद से ही नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के साथ-साथ मुख्यमंत्री के पद पर भी बने हुए थे।
आरसीपी को जदयू में नंबर 2 का दर्जा हासिल
वर्तमान में आरसीपी सिंह जदयू के राज्यसभा सांसद हैं तथा वे राज्यसभा में पार्टी के नेता भी हैं। 62 वर्षीय आरसीपी सिंह मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं, जहां से नीतीश कुमार भी हैं। आरसीपी सिंह कुर्मी जाति से हैं और नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से ही आते हैं। आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है, उनको पार्टी में नीतीश के बाद नंबर 2 का दर्जा हासिल है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले आरसीपी सिंह जदयू के राष्ट्रीय महासचिव थे। आरसीपी सिंह वर्ष 1984 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं।
वर्ष 2010 में आरसीपी बने राज्यसभा के सदस्य
नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में जब रेल मंत्री बने तो उन्होंने आरसीपी सिंह को अपना विशेष सचिव बनाया था। इसके बाद वर्ष 2005 में जब बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने आरसीपी सिंह को दिल्ली से बिहार बुला लिया। वर्ष 2005 से 2010 के बीच आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के प्रधान सचिव के तौर पर कार्यरत रहे, इस दौरान पार्टी में आरसीपी सिंह की पकड़ मजबूत होने लगी। आरसीपी सिंह ने वर्ष 2010 में आईएएस की सेवा से समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया, इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। वर्ष 2016 में नीतीश कुमार ने दोबारा आरसीपी सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया।
लेडी सिंघम के पिता हैं आरसीपी
वर्ष 2019 में नरेंद्र मोदी की केंद्र में दोबारा सरकार बनने के बाद सहयोगी जदयू को एक केंद्रीय मंत्री का ऑफर दिया गया। बताया जाता है कि आरसीपी सिंह मंत्री बनने के लिए भाजपा की पसंद थे, मगर नीतीश कुमार के एक और करीबी ललन सिंह भी मंत्री बनना चाहते थे और दोनों नेताओं के टकराव की वजह से नीतीश कुमार ने फैसला लिया कि मोदी सरकार में जदयू का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा। आरसीपी सिंह की एक दूसरी पहचान यह है कि वह दबंग आईपीएस अधिकारी और लेडी सिंघम के नाम से मशहूर वर्ष 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी लिपि सिंह के पिता हैं।
आरसीपी ने नीतीश का आभार जताया
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह ने जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे लिए भावुक क्षण है ये, नीतीश कुमार ने रेल मंत्री होने के बाद मुझे फोन कर पीएस बनने को कहा था, आज भी अपनी तरफ से ये दायित्व मुझे सौंपने का निर्णय इन्होंने लिया, 23 वर्षों से मैं उनके साथ हूं, मैं ऊपर वाले से प्रार्थना करूंगा कि जो विश्वास नीतीश जी ने मुझमें जताया है उसे मैं आपलोगों के सहयोग से पूरा कर सकूं।