
बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 के प्रचार के आखिरी दिन आज 5 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू के मुखिया नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान किया है। नीतीश कुमार ने कहा कि ये चुनाव उनका आखिरी चुनाव है।
यह मेरा अंतिम चुनाव है- नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पूर्णिया जिले के धमदाहा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जान लीजिए आज चुनाव के प्रचार का आखिरी दिन है और परसों चुनाव है, यह मेरा अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला। ध्यान रहे कि नीतीश कुमार ने वर्ष 1977 में अपना पहला चुनाव लड़ा था, उन्होंने नालंदा के हरनौत से चुनाव लड़ा, यहां से नीतीश कुमार चार बार चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें 1977 और 1980 में हार मिली जबकि 1985 और 1995 के चुनाव में वो विजयी हुए थे।
नीतीश ने अपना आखिरी चुनाव 2004 में लड़ा
नीतीश कुमार ने वर्ष 2004 में अपना आखिरी चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें नालंदा लोकसभा से जीत हासिल हुई थी, जबकि वर्ष 2004 में ही बख्तियारपुर लोकसभा से चुनाव हार गए थे, उसके बाद से नीतीश कुमार ने कोई चुनाव नहीं लड़ा। नीतीश कुमार ने वर्ष 1972 में बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की, उन्होंने कुछ समय तक बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में नौकरी भी की, लेकिन जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं के संपर्क में आने के बाद नीतीश कुमार राजनीति में आ गए।
नीतीश पिछले 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज हैं
नीतीश कुमार 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं, वर्ष 2004 के बाद उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा, नालंदा से सांसद रहे नीतीश कुमार नवंबर 2005 में एनडीए के प्रदेश में सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री बने थे, उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा देकर बिहार विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण की थी। नीतीश कुमार पिछले 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज हैं। नीतीश कुमार मूल रूप से नालंदा जिला के रहने वाले हैं और कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं।
नीतीश ने निभाई जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका
जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं के साथ नीतीश कुमार ने शुरुआती राजनीति की, फिर 1977 के जेपी आंदोलन में नीतीश कुमार ने सक्रिय भूमिका निभाई। नीतीश कुमार के समकालीन रहे राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव और भाजपा के सुशील कुमार मोदी भी एक साथ ही जेपी आंदोलन में कूदे थे, बाद में नीतीश कुमार 1977 में जनता पार्टी में शामिल हो गए।