दिल्ली में अच्छी शिक्षा का दावा करने वाले केजरीवाल सरकार के सरकारी स्कूलों में 9वीं और 11वीं क्लास में पढ़ने वाले 96% छात्र परीक्षा में फेल हो गए। इसे लेकर दिल्ली सरकार अब भाजपा के निशाने पर आ गई है। भाजपा ने शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अब टीचर्स से कहा जा रहा कि वे खुद उत्तर लिखकर छात्रों को पास करें। दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दावा किया कि नतीजे वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं, मगर टीचर्स से कहा गया कि खुद जवाब लिखकर छात्रों को पास करें और रिवाइज्ड रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड करें। रामवीर बिधूड़ी के मुताबिक, इसके लिए उन्हें 5 अप्रैल तक का समय दिया गया है। उन्होंने LG वीके सक्सेना से जांच की मांग की है। नेता विपक्ष ने दावा किया कि इस सत्र में 9वीं और 11वीं कक्षा में केवल 4% छात्र ही पास हो पाए।
छात्र 80 में से 10 नंबर भी नहीं ला सके
रामवीर बिधूड़ी ने कहा कि कक्षा के 60 में 55 छात्रों के नंबर पास होने लायक भी नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि ज्यादातर छात्र कुल 80 अंकों में से 10 अंक भी नहीं ला सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा के इस घोटाले की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि जालसाजी से रिजल्ट बदले जा रहे हैं। भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों की वर्ल्ड क्लास एजुकेशन मॉडल की हवा निकल गई है, केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता शिक्षा मॉडल पर दिन-रात झूठ बोलते हैं कि शिक्षा का स्तर बहुत सुधर गया, जबकि इस साल के नतीजों ने पोल खोल दी है।
10 वीं व 12वीं के परीक्षा में भी नकल के आरोप
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं बोर्ड के परीक्षा में भी छात्रों को नकल कराने का आरोप है। दैनिक भास्कर ने 10 मार्च को दिल्ली सरकार के स्कूल मैनेजमेंट पर छात्रों को नकल कराने का लगा गंभीर आरोप हेडलाइन से न्यूज बताया था। सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा CBSE द्वारा आयोजित कराई गई थी। CBSE के परीक्षा कंट्रोलर भारद्वाज को शिकायत मिली, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता को पत्र भी लिखा था। शिक्षा निदेशक से कहा गया कि वह सुनिश्चित करें कि परीक्षा सुचारू रूप से और निष्पक्ष रूप से आयोजित हो। शिकायत में कहा गया कि परीक्षा के समय सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक CCTV कैमरे बंद कर दिए जाते थे। तर्क यह दिया गया कि पेरेंट्स के पास भी CCTV देखने का एक्सेस हैं। सरकारी स्कूलों के स्कूल प्रमुखों द्वारा TGT/PGT शिक्षकों को एक फेसिलिटेटर के तौर पर नियुक्त किया गया, इनका काम छात्रों को प्रोत्साहित करना था, लेकिन इन पर छात्रों को नकल करने में मदद का आरोप लगा, जिससे रिजल्ट सुधारे जा सकें।
जवाब न आए तो सवाल लिखकर आना- निदेशक
शिक्षा के इस खस्ताहाल मॉडल की जानकारी शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक को भी है, लेकिन टीचर्स को 5 अप्रैल तक नतीजे सुधारने को कहा गया है। इससे पहले भी ऐसे वीडियो सामने आ चुके हैं, जिसमें खुद शिक्षा निदेशक क्लास में बच्चों को कह रहे कि अगर उन्हें कुछ नहीं आता, तो प्रश्न ही लिख आएं, शिक्षक उन्हें पास कर देंगे।