शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का आज निधन हो गया। वे 99 साल के थे। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था।
स्वरूपानंद ने ली दोपहर 3 बजे अंतिम सांस
द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में आज 11 सितंबर 2022 को निधन हो गया है। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में उनका निधन हुआ। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अपने आश्रम में दोपहर 3 बजे के करीब अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले ही स्वरूपानंद सरस्वती ने अपना 99वां जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया था। 2 सितंबर 1924 में उनका जन्म हुआ था। वह द्वारका और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य थे। जानकारी के मुताबिक, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
राम मंदिर के लिए भी लड़ी लड़ाई
स्वरूपानंद सरस्वती हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु थे। राम मंदिर के लिए भी उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। उनके निधन के बाद आश्रम में लोगों को जमावड़ा शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि जिस वक्त उन्होंने प्राण त्यागे, उनके शिष्य ही वहां मौजूद थे।
स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान
स्वरूपानंद सरस्वती ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों का भी सामना किया था। उनका बचपन का नाम पोथीराम था। उन्होंने काशी में करपात्री महाराज से धर्म की शिक्षा ली थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय वह भी आंदोलन में कूद पड़े थे, उन्हें 2 बार जेल भी जाना पड़ा था। स्वरूपानंद सरस्वती को साल 1989 में शंकराचार्य की उपाधि मिली थी।
बेबाकी के लिए जाने जाते थे स्वरूपानंद
स्वरूपानंद सरस्वती अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि भगवा पहन लेने से कोई सनातनी नहीं बनता। उन्होंने कहा था कि जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में कोई भी ऐसा शख्स नहीं है जो कि प्राण प्रतिष्ठा कर सके, वे धन को लेकर भी ट्रस्ट पर सवाल खड़े किए थे।