दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक दुर्गेश पाठक ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (वीके सक्सेना) पर नोटबंदी के दौरान 1400 करोड़ रुपए के घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। दरअसल, उपराज्यपाल और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच अक्सर अधिकारों को लेकर टकराव देखा गया है, लेकिन दुर्गेश पाठक का आरोप अप्रत्याशित है।
सक्सेना पर 1400 करोड़ का भ्रष्टाचार का आरोप
दुर्गेश पाठक ने कहा कि जब वीके सक्सेना खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष थे, तब नोटबंदी के दौरान ब्लैक मनी को व्हाइट किया गया। पाठक ने आरोप लगाया कि ‘नोटबंदी के दौरान जब लोग भूखे थे परेशान थे तब हमारे उपराज्यपाल 1400 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार कर रहे थे।’ पाठक ने कहा कि सीबीआई में मामला दर्ज हुआ लेकिन वीके सक्सेना का नाम तक नहीं लिखा गया न सीबीआई ने रेड की, न एफआईआर में नाम लिखा, लीपा पोती कर दी गयी।
FIR में सक्सेना का नाम डाला जाए- पाठक
दुर्गेश पाठक ने मांग की है कि सीबीआई की एफआईआर में विनय कुमार सक्सेना का नाम डाला जाए। सदन में इस घोटाले के आरोप पर हंगामा सत्ता पक्ष के विधायक वेल में उतरे जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। आप विधायक दुर्गेश पाठक ने दावा किया कि 2 कैशियर संजीव कुमार, प्रदीप यादव का धन्यवाद, जिन्होंने सारी बात सामने रखी, उन्होंने कहा- हमारी ब्रांच में 22 लाख रुपए का हेरफेर हुआ।
आप विधायकों ने LG को हटाने की मांग की
दिल्ली विधानसभा में करोड़ों के खादी घोटाले में एलजी वीके सक्सेना पर आरोप लगने के बाद आप विधायकों ने उन्हें हटाने की मांग की। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच आप विधायकों ने विधानसभा में जमकर नारेबाजी की। हाथों में बैनर और तख्तियां लिए भी देखा गया।
विनय सक्सेना खादी घोटाले में कैसे?
दरअसल, विनय कुमार सक्सेना उपराज्यपाल बनने से पहले खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष रह चुके हैं। KVIC सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय के तहत काम करता है। केवीआईसी में सक्सेना अक्टूबर 2015 से मई 2022 तक रहे। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के स्थान पर मई 2022 में वीके सक्सेना दिल्ली के उपराज्यपाल बने।