द्रौपदी मुर्मू ने आज देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। द्रौपदी मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं, द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं, वे इससे पहले झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने ली राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण
द्रौपदी मुर्मू ने आज 25 जुलाई 2022 को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद यानि राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस पद को संभालने वाली देश की दूसरी महिला तथा पहली आदिवासी महिला हैं। 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति बनी हैं। द्रौपदी मुर्मू देश की 10वीं राष्ट्रपति बनी हैं जिन्होंने 25 जुलाई को ही शपथ ली हैं। ध्यान रहे कि 18 जुलाई 2022 को हुए 15वीं राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया था।
राष्ट्रपति मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी गई
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्रियों, कई राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, सांसद और सरकार के प्रमुख अधिकारी इस समारोह में शामिल हुए। शपथ ग्रहण समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी गई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शपथ ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि सभी भारतीयों की अपेक्षाओं आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रतीक संसद में खड़े होकर मैं आप सभी का नम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करती हूं, इस नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए आपका विश्वास और समर्थन मेरे लिए एक बड़ी ताकत होगी, मैं देश की पहली राष्ट्रपति हूं जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है। अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह भी जोड़ा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर रामनाथ कोविंद तक, अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है, इस पद के साथ-साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी मुझे सौंपा है।